पर्यावरण ...

पर्यावरण का अर्थ --
जैसा कि आप सभी जानते हैं -
पर्यावरण शब्द  'परि'  एवं 'आवरण' शब्दों की संधि से बना है जहां परि का अर्थ होता है 'चारों तरफ' तथा आवरण का अर्थ होता है 'घेरा' ।
इस प्रकार पर्यावरण का अर्थ है चारों तरफ से घेरना ।
मनुष्य के चारों ओर का वह क्षेत्र जो उसे घेरे रहता है और उसके जीवन तथा क्रियाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है 'पर्यावरण' कहलाता हैै । पर्यावरण के अंग्रेजी पर्याय एनवायरोमेंट (environment)  की उत्पत्ति फ्रेंच शब्द्  एनवायरोनेर ( environed) सेेेेेेेे हुई है,  जिसका अर्थ होता है  'पडोस' , इसीलिए हम पर्यावरण के लिए आस-पड़ोस शब्द का प्रयोग भी कर सकते हैं। दूसरेेे  शब्दों में हम कह सकते हैं कि हमारे पास पड़ोस में पाए जाने वाले लोग,  स्थान, वस्तुएं,  और प्रकृति पर्यावरण कहलाते हैंं।

पर्यावरण के घटक - 
पर्यावरण के दो प्रमुख घटक हैं प्राकृतिक एवं मानव निर्मित ।

A . प्राकृतिक घटक - पर्यावरण के प्राकृतिक घटकों में दो तरह के घटक आते हैं- 
१. जीवीय या जैविक घटक - पर्यावरण के जैविक घटकों के अंदर जंतु एवं पादप अर्थात सजीव प्राणियों का संसार आता है।
२. अजीवीय ,अजैविक या भौतिक घटक - पर्यावरण के अजैविक या भौतिक  घटकों के अंतर्गत स्थल जलवायु प्रकाश ताप और मृदा अर्थात निर्जीव पदार्थों का संसार आता है ।
३. 
B .  मानव निर्मित घटक- 
मानव निर्मित घटकों के अंदर इमारते उद्योग सड़क पुल पार्क संस्कृति आदि आते हैं ,अर्थात मानव द्वारा बनाई गई जितनी चीजें हमारे आसपास हैं हमारे चारों तरफ हैं वही मानव निर्मित घटकों के अंतर्गत आती हैंं।

परीक्षा की दृष्टि से पर्यावरण के प्राकृतिक घटकों का अध्ययनन ही महत्वपूर्ण है इसीलिए हम पर्यावरण केेेेेेे जैविक और अजैविक घटकों का अध्ययन करेंगे-
जैविक घटक - जैविक घटकों केेेेे अंतर्गत उत्पादक , उपभोक्ता व अपघटनकर्ता आते हैं,
* जो अपने भोजन का निर्माण स्वयं करें वह उत्पादक की श्रेणी में आएगा और हमारे पर्यावरण में पादप जगत ही प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपने भोजन का निर्माण करता है इसलिए पौधों को  उत्पादक  कहा जाता है।
* जो जीव जंतु अपने भोजन का निर्माण स्वयं नहीं करते उन्हें उपभोक्ता कहा जाता है उपभोक्ता चार प्रकार के होते हैं - 
 1. प्राथमिक उपभोक्ता - यह शाकाहारी होते हैं एवं पौधों की पत्तियों और कोमल तनो को खाते हैं जैसे  टिड्डा ,बकरी, हिरण, गाय आदि।
2. दितीय उपभोक्ता - यह शाकाहारी जीवो को खाते हैं जैसे मेंढक,  बिल्ली  ,लोमड़ी आदि।
3.  तृतीयक उपभोक्ता - यह उच्च स्तर के मांसाहारी होते हैं यह प्राथमिक उपभोक्ताता या द्वितीयक उपभोक्ताा को खाते हैं या फिर दोनों उपभोक्ताओं को खाते हैं जैसेे   - शेर हिरण को भी खाता है और लोमड़ी को  भी।
4. सर्वाहारी - यह उत्पादकों एवं प्राथमिक उपभोक्ताओं का सेवन करते हैं जैसे मनुष्य , बिल्ली, कौवा ,मोर ,आदि।


अपघटनकर्ता या मृतक भक्षी - यह मृत्यु जीव जंतुओं को अपना भोजन बनाते हैं तथा मृत शरीर के  कार्बनिक  पदार्थों को साधारण भौतिक तत्वों मैं अपघटित कर देते  है जैसेे  जीवाणु तथा कवक।
  अजैविक घटक -  इनमें निर्जीव वातावरण आताा है जो जैविक घटकोंं का नियंत्रण करता है। अजैविक घटक  तीन प्रकार के होते हैं -
1. जलवायवीय या कारक  घटक - प्रकाश, ताप, जल, सूर्य से प्राप्त उर्जा,  तथा भौतिक कारक इसी केे अंतर्गत आतेेे हैं।
2. कार्बनिक घटक या कारक - कार्बोहाइड्रेट वसा प्रोटीन ह्रामस  तथा यूरिया आदि कार्बनिक घटकों के अंतर्गत आतेे हैं।
3. अकार्बनिक घटक या कारक - पोटैशियम, कार्बन, मैग्निशियम ,नाइट्रोजन ,ऑक्सीजन ,कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन ,जल, तथा खनिज लवण आदि अकार्बनिक घटकों के अंतर्गत आते हैं।


* पर्यावरण के क्षेत्र  -  पर्यावरण को निम्नलिखित चार क्षेत्रों में विभाजित किया गया है - स्थथलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल ,जैवमंडल।

 स्थलमडल- पृथ्वी केेेेेेेेे ठोस ऊपरी परत को स्थलमंडल कहते है । पृथ्वी का लगभग एक तिहाई भाग स्थलमंडल है यह मंडल शैलो एवं खनिजों से निर्मित है तथा मृदा की पतली परत सेेे ढका हुआ हैै ।
इस मंडल में पर्वत पठार मैदान घाटी आदि आते हैं। 
जलमंडल - पृथ्वी पर पाए जाने वाले जल केेे क्षेत्र को जलमंडल कहते हैं, पृथ्वी का लगभग दो तिहाई भाग जलमंडल है तथा महासागर , झीलें नदियांं , एवं अन्य जलाशय  सम्मिलित रूप से जल मंडल का निर्माण करते करते हैं , जल विभिन्न दशाओं जैसे बर्फ , वाष्प एवं भूमिगत रूप में पाया जाता हैै।
वायुमंडल - पृथ्वी के चारो ओर मौजूद वायु के आवरण को वायुमंडल कहते हैं ,  वायुमंडल मेंं विभिन्न प्रकार की  गैसे ,धूल के कण  और जलवाष्प पाया जाता है।
जैव मंडल - पृथ्वी का वह क्षेत्र जहां स्थल, जल, और वायू मिलकर जीवन को संभव बनाते हैं जैैवमंडल कहलाता  है।
जंतु एवं पादप मिलकर इस मंडल का निर्माण करते हैं , तथा जैव मंडल जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियां प्रदान करता है।



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